माननीय कश्मीरी लाल (अखिल भारतीय संगठक )

वैक्सीन व कोरोना दवाईयाँ पेटेंट मुक्त हो  :स्वदेशी जागरण मंच

कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है और नए मामलों की संख्या लगभग 4 लाख प्रतिदिन के आसपास पहुंच गई है।  विशेष रूप से महामारी की दूसरी लहर का जवाब देने के लिए दवाओं और टीकों समेत विभिन्न चिकित्सा उत्पादों को देश में सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है।  यद्यपि रेमेडिसवीर, फ़ेविपवीर, कोवेक्सिन और कोविशील्ड का स्थानीय उत्पादन हो रहा है और कंपनियों ने स्वेच्छा से मूल्यों में कमी भी की है लेकिन समस्या की गंभीरता के कारण बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए उपलब्ध मात्रा अत्यधिक अपर्याप्त है तथा मूल्य अत्यधिक है।

  इस संदर्भ में बोलते हुए मंच अखिल भारतीय सह संयोजक प्रो अश्विनी महाजन जी ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच वैश्विक कॉरपोरेट बिल गेट्स के उस कथन का पुरजोर विरोध करता है कि वे वैक्सीन फार्मूला, भारत और अन्य देशों के साथ साझा करने के ख़िलाफ़ हैं । यह सदी की भीषणतम महामारी के समय वैश्विक कॉरपोरेट जगत के अनैतिक और अनुचित लालच का नवीनतम उदाहरण है।

एक अनुमान के अनुसार इस समय देश को कम से कम 70% आबादी का टीकाकरण करने के लिए लगभग 195 करोड़ खुराक की आवश्यकता है। इसलिए राज्य सरकारों तथा निजी अस्पतालों के लिए घोषित कीमतों को कम किए जाने की तुरंत आवश्यकता है अन्यथा भारत में टीकाकरण की गति धीमी हो सकती है।  साथ ही भारत जैसे विशाल देश की टीका आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु  उत्पादन बढ़ाने के लिए और अधिक कंपनियों को अनिवार्य लाइसेंस के आधार पर इन दवाओं के उत्पादन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।  प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के लिए, सरकार को पेटेंट और व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा बाधाओं को दूर करने के लिए उपाय करने होंगे।

प्रो भगवती प्रकाश शर्मा, कुलपति गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच देशभक्त नागरिकों से आह्वान करता है कि वे इस कठिन समय में जरूरतमंदों की सेवा करने के साथ-साथ वैश्विक मुनाफाखोरों के खिलाफ आवाज भी उठाएं।

भारत सरकार को इन जन भावनाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए, सभी चिकित्सा उत्पादों को वैश्विक कल्याण वस्तु घोषित करते हुए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:

 • रेमेडीसविर, फेविरेसीर, टोसीलुजुमाब जैसी दवाओं के उत्पादन और मोलनुपीरविर जैसी नई दवाओं के उत्पादन के लिए या तो सरकार धारा 100 के तहत अनिवार्य लाइसेंस के प्रावधानों का उपयोग करे या धारा 92 के तहत अनिवार्य लाइसेंस जारी करे।

कोवैक्सीन  और कोविशील्ड के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सभी संभावित निर्माताओं के लिए व्यापार रहस्य सहित टीकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा सुनिश्चित की जाए।

 • कुछ कंपनियों के बजाय तकनीकी क्षमताओं के साथ अधिक फार्मा कंपनियों के लिए व्यापक रूप से वैक्सीन उत्पादन लाइसेन्स दिए जाएँ।

 • स्पुतनिक वैक्सीन का स्थानीय उत्पादन शुरू करने के लिए नियामक मंजूरी प्रदान की जाए ।

 • उत्पादन लागत आधारित फ़ार्मूले के आधार पर  दवाओं और टीकों की कीमतों पर सीलिंग लगाई जाए।

 • वैश्विक स्तर पर दवाओं और वैक्सीन के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों का स्थानांतरण सुनिश्चित हो।

 • वैश्विक स्तर पर सभी प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा की आवश्यकता और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की छूट की माँग को आगे बढ़ाया जाए। इस हेतु जी 7, जी 20 और अन्य समूहों में राजनयिक प्रयासों में तेजी लायी जाए ।

आने वाली 5 मई को विश्व व्यापार संघ (WTO) की बैठक होने जा रही है जिसमे भारत सरकार को यह विषय जोर शोर से उठना चाहिए कि कैसे पेटेंट संबंधी नियमों के कारण इन ओषधियो को सर्व सुलभ बनाना संभव नहीं हो पा रहा है जिसके कारण मानवमात्र को इस भयावह त्रासदी को झेलने पर विवश होना पड़ रहा है। स्वदेशी जागरण मंच एक बार पुनः वैश्विक शक्तियों से आग्रह करता है कि इस विश्वव्यापी संकट से निपटने हेतु एक जुट हो कर किसी भी प्रकार के लोभ का परित्याग करके मानवता के हित में उचित निर्णय लें।