खूबसूरती का खजाना भरा पड़ा है बेलूधार खन्योल बगडा में |
✍टी सी ठाकुर
हिमाचल प्रदेश के
मण्डी जिले उपमण्ङल करसोग से लगभग 35-40 किलोमीटर दूर समुद्र
तल से करीब 7000 फुट एक खुबसूरत गांव है। बेलूधार गांव में
जगह जगह खुबसूरती का खजाना भरा पडा है। यह गांव
माहुंनाग टिब्बे और धमून टिब्बे के मध्य भाग में सतलुज नदी के दायीं ओर बसा है।
यहाँ की खूबसूरती के साथ साथ यहाँ के
प्राचीन मंदिर भी यहाँ की गौरव गाथा सुनाते है। यहाँ की खूबसूरती के साथ के प्रचीन काल मंदिर इस क्षेत्र को और भी रमणीय बनाते है। खन्योल बगडा के साथ सटा है। श्री देव दवाहङी जी का भव्य मंदिर और कोठी है, जो कि
करसोग घाटी की सबसे ऊंची कोठियों में है। श्री देव दवाहङी जी का भव्य मंदिर
खन्योल बगडा में भी है ।
बेलूधार पहुंचने के लिए खन्योल बगडा से
30-35 मिनट का खूबसूरत रास्ता तय करना पड़ता है। रास्ते में हरे भरे पहाड़ पेङ पौधे व सेब के बगीचे
होकर गुजरना पड़ता है। बेलूधार गांव में श्री नाग मांहु बेलु
की भव्य प्रचीन कोठी है।
गांव से थोड़ा सा उपर श्री नाग मांहु का मंदिर (देहुरा)है। मंदिर के साथ एक विशाल बावङी है। मंदिर परिसर से चारों ओर की पहाड़ियों का आकर्षण पर्यटकों को लुभाने की खूब क्षमता रखता है। यहाँ का चारों ओर का विह़गम दृश्य मन को मोह लेता है। यहाँ से जिला शिमला का क्षेत्र व सतलुज नदी का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यहाँ का खुशनुमा मौसम ठण्डी ठण्डी हवा व यहाँ का अनुकूल वातावरण मन को सकून प्रदान करता है।
यहाँ का प्रसिद्ध बेलु ढांक बङे बङे
पहाड़ यहाँ की खूबसूरती को चार चांद लगा देते है। श्री नाग मांहु बेलु जी के
आशीर्वाद से मुझे भी यहाँ जाने का अवसर प्राप्त हुआ। इस क्षेत्र को और
निखारने के लिए सरकारी व प्रशासनिक प्रयासों की जरूरत है।
टी सी ठाकुर
च्वासी करसोग
मण्डी हिमाचल प्रदेश
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