कोरोना से आगे क्या ?
✍कुंदन कुमार
हमारे शास्त्रों
में लिखा गया है कि किसी को भी कभी अपने से छोटा और कमजोर ना समझे, क्योंकि समय मे वो शक्ति है जो शीप के मुह के पानी को मोती बना देता है। कोई
छोटे से छोटा प्राणी भी समय के सहयोग से कालांतर में सबसे शक्तिशाली हो सकता है।
आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश हो या सबसे शक्तिशाली सेना, सबको सबसे ज्यादा डर दुनिया मे उपलब्ध सबसे सूक्ष्म प्राणी से है।
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ कोविड -19 से
मचे त्रासदी की। आइये जानते है इसके वैज्ञानिक पहलूओ को। क्या है कोविड -19 और कैसे
ये धरती का सबसे सूक्ष्मजीव जो सजीव औऱ निर्जीव के बीच की कड़ी मात्र है औऱ सदी के
सबसे बड़े मानवीय विनाश का कारण बन रहा है । कोविड -19 एक RNA
वायरस है। मतलब इसका जेनेटिक मटीरियल RNA है, ना कि DNA। इस वायरस के मानव में संक्रमण के प्रमुख
लक्षण तेज बुखार ,सुखी खाँसी औऱ सांस लेने में तकलीफ आदि है।
यह एक आदमी से दूसरे आदमी में आसानी से फैल सकता है।
कोविड -19 वायरस सबसे पहले
चीन के वुहान प्रान्त से शुरू हुआ है। इससे संक्रमित 80% लोग
स्वतः ठीक हो जाते है। करीब 20% लोगो को गहन चिकित्सा की
जरूरत होती है। जिसमे मृत्यु दर काफी अधिक है। इस वायरस के मानवीय संक्रमण के
कई कारण बताए जा रहे है। जिसमे सबसे प्रमुख कुछ लोगों का मानना है
कि ये चमगादड़ में पाए जाने वाला वायरस है। जो किसी मानव द्वारा चमगादड़ को खाने के
कारण फैला है। कुछ लोग इसके फैलने का कारण मानव की अन्नत इच्छाओ से प्रेरित
अनुसन्धान की पराकाष्ठा मानते है। जिसमे एक देश दूसरे देश के आर्थिक नुकसान के
उद्देश्य से जैव हथियार बनाने का प्रयास करता है। इसी क्रम में चीन के किसी अनुसंधान प्रयोगशाला से वायरस अनियंत्रित हो कर मानव में फैल
जाता है। जिसके साक्ष्य बहुत ही सीमित है। कारण इनमें से जो भी हो यह मानवता और
मानवजाति के लिए इतना बड़ा खतरा बन जाएगा, इसके बारे में किसी ने शायद ही सोचा होगा ।
इस सम्पूर्ण विनाश के पीछे एक ही हेतु लगता है, वो
है मानव के अंदर की ग्रीड यानी असीमित इच्छा। जिससे वो दुनिया के सारे संसाधनो पर
खुद का आधिपत्य चाहता है। सभी संसाधनों को सिर्फ खुद के लिए ही उपयोग में लाना
चाहता है। काश ये अमानवीय आपा-धापी वाले देश "सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भवंतु
निरामया" के दर्शन को समझ पाते। “वशुध्व कुटुंबवकम” को आत्मसात कर पाते और
सम्पूर्ण बिश्व को अपना परिवार मानकर भारत के दर्शन को अपनाते।खैर देखिये इस गंभीर
समस्या से भी लड़ने का सबसे सटीक तरीका भारतीय जीवन शैली के ही निकट है। वैज्ञानिक
भी मानते है कि शाकाहारी भोजन, योग, संयमित
जीवन, सम्पूर्ण एकांतवास और शारीरिक प्रतिरोधी क्षमता ही अभी
तक इससे रोकथाम का सबसे कारगर उपाय है। वैज्ञानिकों ने
ऐसा भी पाया है कि भारतीय भोजन बनाने के क्रम में सबसे प्रमुखता से उपयोग होने
वाला हल्दी भी कोविड-19 से लड़ने में आपकी शारिरिक प्रतिरोधी
क्षमता को बढ़ाता है। मतलब भारतीयता ही सबसे उपयुक्त और सक्षम हथियार है इस कोविड
-19 से सामना करने के लिए।
ऐसा भी माना जा रहा है कि भारत का अब
विश्वगुरु बनाना सच के बिल्कुल करीब है । इसके पीछे कई सशक्त पहलु है। पहला कोरोना
से लड़ने के लिए भारत ने सीमित साधनों में असीमित इच्छा शक्ति और अपने लोग प्रिय
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में असाधारण काम किया है। भारत के ढृढ़
संकल्प के कारण अब तक दुनिया मे सबसे अच्छे तरह से कोविड -19 से जंग हम लोग लड़ रहे। ईश्वर में चाहा तो जल्दी ही इसपर विजय प्राप्त
करंगे। भारतीय कंपनी के द्वारा ही सबसे पहले 100 प्रतिशत सेंसिटिव, 100 प्रतिशत भारतीय RT -PCR किट को मार्केटिंग के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे बहुत कम समय और पैसे
को खर्च करके सबके सटीक रिजल्ट आ सकता है। कीमत भी दुनिया में उपलब्ध किट से एक चौथाई मात्र है।
कुशल नेतृत्व की दूरदर्शिता और विषम
परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता के कारण हम जल्द ही इस वैश्विक महामारी से
निकल कर दुनिया के अनन्य देशों की सहायता कर सकते है। हम अच्छे व्यपारिक संबंध औऱ कुशल नेतृत्व के कारण दुनिया को विश्वास
दिलाने में सफल हो रहे है कि भारत किसी भी विषम के चुनौती का सामना करने में सक्षम
है। जबकि तात्कालिक परिस्थितियों में अमरीका, चीन, इटली, फ्रांस, स्पेन सरीखे देशों का नेतृत्व दुनिया को ये संदेश नही दे पा रहा है। मतलब
साफ है दुनिया के अन्य देश हम से भविष्य में ज्यादा व्यपारिक संबंध और संपर्क रखना
चाहेगे । अभी विश्व पटल पर जो आर्थिक रूप से सक्षम देश अमेरिका, फ्रांस, स्पेन इंग्लैंड, इटली
की स्थिति बद से बदत्तर होने की सम्भावना दिख रही है। अगर
समय रहते निदान नही हो पाया तो ये सारे देश 20 वर्ष पीछे चले
जायेंगे । चीन के पास भी समान अवसर थे औऱ एक प्रतिस्पर्धा सी जान पड़ती थी। किन्तु
जिस तरह से स्पेन में गलत जाँच किट भेज कर,इटली में इमोशनल
संदेश भेज कर, अमेरिका औऱ सम्पूर्ण विश्व को झूठ फैलाकर तथा कोविड
-19 के बारे में गलत जानकारी देकर अपने
शाख पर बहुत बड़ा बट्टा लगा चुका है।
चीन ने सिर्फ अपने क्षणिक व्यावसायिक
फायदे के कारण कुछ सच्चाई छुपाई और सारी दुनिया को संकट में
डाल दिया है। अमेरिका ने इकॉनमी का लोभ देख कोविड -19 के भयावता से मुँह छुपाया और अपने
पूरे देशवासियो को संकट में डाल दिया है। आज अमेरिका कोरोना का केंद्र बन चुका है
और सबसे ज्यादा मरीज यही पर है। कोविड -19 के संकट से बाहर
आने के बाद भी चीन का सम्पूर्ण विश्व के बाजार से
बिदाई लगभग तय मानी जा रही है। ज्यादातर विश्व के देश इस भयानक त्रासदी का
जिम्मेदार भी चीन को ही मानते है। इसलिए चीन के सामान का बहिष्कार एक स्वभाविक, भावनात्मक और सीधी आम घटना होगी । इस बदलते परिस्थिति में एक मात्र
जिम्मेवार राष्ट्र भारत है जो सर्वे भन्तु सुखिनः के भाव को लेकर विश्व की अगुवाई
करने में सक्षम होगा। बस अभी जरूरी है संयम, धैर्य और
राष्ट्र के प्रति निष्ठा की। बस आने वाला समय हमारा होगा। हम जितनी कड़ाई से सरकार
के आदेश का पालन कारेंगे। उतनी जल्दी ही हम इस त्रासदी से निकलकर दुनिया के देशों
को इनसे निकलने का रास्ता बताने में सक्षम होंगे।
✍कुंदन कुमार
शिक्षा - पीएचडी ( बायोटेक्नोलॉजी), एमबीए,
एग्रीकल्चर पालिसी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा। वर्तमान में सोशल
एंटरप्रेन्योरशिप दिल्ली में कार्यरत। 12 साल का रिसर्च तथा
अन्य फील्ड में व्यतिगत अनुभव।
1 Comments
बहुत ही ज्ञानवर्धक और देशभक्ति की भावनाओ से ओतप्रोत लेख, इस भारतवर्षकी पुरातन सांस्कृतिक जीवन पद्धति को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है तभी विश्वकल्याण संभव है ।
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